कमजोरी को ताकत में कैसे बदला, ये पढ़िए!


शाहरुख खान के पिता जी का देहांत हो गया था जब वह 15 साल के थे। उनकी माता का देहांत हो गया जब वह 25 साल के थे। उनके माता पिता के देहांत के कारण उनके बहन की भी तबीयत खराब रहने लगी। मैंने उनका इंटरव्यू देखा जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके पास इस दुख का एक इलाज था कि वह बेइंतहा काम करें और वह नहीं चाहते थे कि वह डिप्रेशन में जाएं और नहीं चाहते थे कि वह अपनी जिंदगी को दुखी होने में बर्बाद कर दें।

वही मेहनत और वही लगन और ना रुकने वाले एटीट्यूड ने दी उनको यह सफलता और बना दिया बॉलीवुड का बादशाह किंग खान। शाहरुख खान ने अपने दुख को ही अपनी सफलता में बदल दिया। उन्होंने अपने दुख और अपनी कमजोरी को अपनी सफलता का कारण बना दिया। दुख अलग-अलग किस्म के सब को मिलते हैं और जिंदगी में पहेलियां सबको मिलती हैं।

कुछ लोग उनकी वजह से अपनी जिंदगी में आने वाली खुशियों को भी ताला लगा देते हैं। वह उदास रहते हैं और परेशान रहते हैं और कई दुख को अपनी कमजोरी नहीं बनने देते बल्कि उसी दुख को अपनी कामयाबी की सीढ़ी बना लेते हैं।