इरफान पठान ने अपने करियर की बर्बादी के लिए इस खिलाड़ी को ठहराया जिम्मेदार!
2003 में एक बड़े ऑलराउंडर के रुप में उभरे और फिर तेज़ी से गायब हुए इरफान पठान ने टीम इंडिया के उभरते स्टार हार्दिक पंड्या की तारीफ़ करते हुए एक ऐसी बात कह दी जो उनके अचानक खत्म हुए करियर के दर्द को बयां करता है।

इरफान पठान ने कहा कि एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर अपनी पूरी प्रतिभा तभी दिखा सकता है जब उसे टीम प्रबंधन का पूर्ण समर्थन मिल। आगे पठान ने भारतीय कप्तान विराट कोहली की प्रशंसा की जिन्होंने हार्दिक पंड्या की आल राउंड प्रतिभा पर भरोसा दिखाया।
पंड्या ने पिछले साल ही भारत के लिये खेलना शुरू किया है, उन्होंने भी उसी तरह से उम्मीदें जगा दी हैं। जैसे करीब 14 साल पहले बड़ौदा के ही पठान ने जगायी थी जब उन्होंने दिसंबर 2003 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ पदार्पण किया था। 32 साल के पठान ने कहा, खिलाड़ियों का समर्थन करते हुए देखना अच्छा है। कभी कभार आप हैरान होते हो कि जिन खिलाड़ियों का इतना समर्थन नहीं किया गया उनका भी करियर काफी लंबा रहा।
अब यहां पठान किसकी तरफ़ इशारा कर रहे हैं? इरफ़ान पठान ने जब टीम इंडिया के लिए खेलना शुरु किया था तब कप्तान सौरव गागुंली थे लेकिन 2007 में धोनी कप्तान बन गए थे। 2008 आते आते पठान का टेस्ट करियर खत्म हो गया था और इसके बाद 2012 में वनडे से भी नाता खत्म हो गया। खबरों के अनुसार पठान की धोनी से नहीं बनती थी हालंकि इस बीच उनकी गेंदबाज़ी की खूबसूरती स्विंग भी ख़त्म होने लगी थी।
पठान ने कहा, सिर्फ हार्दिक का नहीं, बल्कि किसी भी खिलाड़ी का ऊपर की ओर बढ़ने में कप्तान के समर्थन की बहुत अहम भूमिका होती है। केदार जाधव इतने वर्षों से घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर रहा था लेकिन उसे विराट की अगुवाई में ही समर्थन मिला।

इरफान पठान ने कहा कि एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर अपनी पूरी प्रतिभा तभी दिखा सकता है जब उसे टीम प्रबंधन का पूर्ण समर्थन मिल। आगे पठान ने भारतीय कप्तान विराट कोहली की प्रशंसा की जिन्होंने हार्दिक पंड्या की आल राउंड प्रतिभा पर भरोसा दिखाया।
पंड्या ने पिछले साल ही भारत के लिये खेलना शुरू किया है, उन्होंने भी उसी तरह से उम्मीदें जगा दी हैं। जैसे करीब 14 साल पहले बड़ौदा के ही पठान ने जगायी थी जब उन्होंने दिसंबर 2003 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ पदार्पण किया था। 32 साल के पठान ने कहा, खिलाड़ियों का समर्थन करते हुए देखना अच्छा है। कभी कभार आप हैरान होते हो कि जिन खिलाड़ियों का इतना समर्थन नहीं किया गया उनका भी करियर काफी लंबा रहा।
अब यहां पठान किसकी तरफ़ इशारा कर रहे हैं? इरफ़ान पठान ने जब टीम इंडिया के लिए खेलना शुरु किया था तब कप्तान सौरव गागुंली थे लेकिन 2007 में धोनी कप्तान बन गए थे। 2008 आते आते पठान का टेस्ट करियर खत्म हो गया था और इसके बाद 2012 में वनडे से भी नाता खत्म हो गया। खबरों के अनुसार पठान की धोनी से नहीं बनती थी हालंकि इस बीच उनकी गेंदबाज़ी की खूबसूरती स्विंग भी ख़त्म होने लगी थी।
पठान ने कहा, सिर्फ हार्दिक का नहीं, बल्कि किसी भी खिलाड़ी का ऊपर की ओर बढ़ने में कप्तान के समर्थन की बहुत अहम भूमिका होती है। केदार जाधव इतने वर्षों से घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर रहा था लेकिन उसे विराट की अगुवाई में ही समर्थन मिला।