Motivational Story - कुछ लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है, ऐसी स्थिति में निराश होने से बचना चाहिए. इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार एक व्यक्ति बहुत मेहनत करता था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी. असफलता और धन की कमी की वजह से उसकी परेशानियां बढ़ती जा रही थीं. ऐसे में वह दुखी हो गया. एक दिन वह अपने गुरु के पास पहुंचा.
दुखी व्यक्ति ने संत को अपनी सारी परेशानियां बता दीं. संत ने उसकी सारी बातें ध्यान से सुनी. गुरु समझ गए कि उनका शिष्य बहुत ज्यादा निराश है. उन्होंने शिष्य को एक कथा सुनाई. गुरु ने कहा कि किसी गांव में एक लड़के ने बांस और कैक्टस का पौधा लगाया. बच्चा रोज दोनों पौधों को बराबर पानी देता था. सारी जरूरी देखभाल करता था. इसी तरह काफी समय व्यतीत हो गया. कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधे में कुछ भी प्रगति नहीं दिख रही थी.
*पिता और पुत्र की रोचक कहानी*
लड़का इससे निराश हुआ, लेकिन उसने दोनों पौधों की देखभाल करना जारी रखा. कैक्टस का पौधा तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा ही था. लड़का ने कुछ दिन और दोनों की देखभाल की. अब बांस के पौधे में थोड़ी सी उन्नति दिखाई दी. लड़का खुश हो गया. इसी तरह कुछ और दिन निकल गए. अब बांस का पौधा बहुत तेजी से बढ़ रहा था. कैक्टस का पौधा छोटा रह गया.
*बड़ा बनना है तो बड़ा सोचो*
संत ने शिष्य से कहा कि इस कथा की सीख यह है कि बांस का पौधा पहले अपनी जड़े मजबूत कर रहा था. इसीलिए उसकी शुरुआत बहुत धीरे-धीरे हुई, लड़का इससे निराश नहीं हुआ और उसने देखभाल जारी रखी. जब उसकी जड़े मजबूत हो गईं तो वह तेजी से बढ़ने लगा. ठीक इसी तरह हमारे साथ भी होता है. कभी-कभी हमें भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन फल देरी से मिलता है. ऐसी स्थिति में मेहनत करते रहना चाहिए. निराश होने से बचें.
Motivational Story in Hindi |
दुखी व्यक्ति ने संत को अपनी सारी परेशानियां बता दीं. संत ने उसकी सारी बातें ध्यान से सुनी. गुरु समझ गए कि उनका शिष्य बहुत ज्यादा निराश है. उन्होंने शिष्य को एक कथा सुनाई. गुरु ने कहा कि किसी गांव में एक लड़के ने बांस और कैक्टस का पौधा लगाया. बच्चा रोज दोनों पौधों को बराबर पानी देता था. सारी जरूरी देखभाल करता था. इसी तरह काफी समय व्यतीत हो गया. कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधे में कुछ भी प्रगति नहीं दिख रही थी.
*पिता और पुत्र की रोचक कहानी*
लड़का इससे निराश हुआ, लेकिन उसने दोनों पौधों की देखभाल करना जारी रखा. कैक्टस का पौधा तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा ही था. लड़का ने कुछ दिन और दोनों की देखभाल की. अब बांस के पौधे में थोड़ी सी उन्नति दिखाई दी. लड़का खुश हो गया. इसी तरह कुछ और दिन निकल गए. अब बांस का पौधा बहुत तेजी से बढ़ रहा था. कैक्टस का पौधा छोटा रह गया.
*बड़ा बनना है तो बड़ा सोचो*
संत ने शिष्य से कहा कि इस कथा की सीख यह है कि बांस का पौधा पहले अपनी जड़े मजबूत कर रहा था. इसीलिए उसकी शुरुआत बहुत धीरे-धीरे हुई, लड़का इससे निराश नहीं हुआ और उसने देखभाल जारी रखी. जब उसकी जड़े मजबूत हो गईं तो वह तेजी से बढ़ने लगा. ठीक इसी तरह हमारे साथ भी होता है. कभी-कभी हमें भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन फल देरी से मिलता है. ऐसी स्थिति में मेहनत करते रहना चाहिए. निराश होने से बचें.