हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को श्री राम के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है और जिसे रामनवमी भी कहा जाता है. रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें भगवान राम के पूरे जीवन की गाथा वर्णित है. रामायण में वाल्मीकि ने श्रीराम के बारे में छोटी-से छोटी बातें बताई हैं. उन्होंने श्रीराम के स्वभाव और गुण के बारे में तो बताया ही है. वहीं उन्होंने अपने ग्रंथ में श्रीराम के रंग, रुप और शारीरिक संरचना का भी वर्णन किया है. तो चलिए आज हम आपको भगवान राम के गुण, स्वभाव और सुंदरता के बारे में बताएंगे.
वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीराम के बाल लंबे और चमकदार थे और चेहरा चंद्रमा के समान सौम्य, कांतिवाला कोमल और सुंदर था. उनकी आंखे बड़ी और कमल के समान थी. उन्नत नाक यानी चेहरे के अनुरुप सुडोल और बड़ी नाक थी. उनके होंठों का रंग उगते हुए सूर्य की तरह लाल था और दाेनों होंठ समान थे. उनके कान बड़े थे और जिनमें कुंडल शोभा बढ़ाते थे. श्रीराम के पैरों की लंबाई शरीर के उपरी हिस्से के समानुपात में थी.
भगवान के अंदर कोई दोष नहीं था, वे बहुत ही शआंत स्वभाव और मीठे वचन वोलने वाले जाने जाते थे. अपने मन को उन्होंने अपने वश में कर रखा था. उनके दिल में सभी के लिए समान भावना था, कभी किसी में फर्क नहीं किया था. प्रजा के प्रति उनका और उनके प्रति प्रजा का अनुराग था. श्रीराम दयालु, क्रोध को जीतने वाले और ब्राह्मणों की पूजा करते थे.
अगर बात की जाए उनके गुणों की तो वे बहुत ही विद्वान और बुद्धिमान थे. भूमंडल में उनके समान कोई नहीं था. वे वेदों के ज्ञाता और शस्त्र विद्या में अपने पिता से भी आगे थे. उनकी स्मरणशक्ति अद्भूत थी. समय-समय पर होने वाला उनका क्रोध या हर्ष कभी निष्फल नहीं होता, यानी उसका भी फल मिलता था. दूसरों से बात करते समय अच्छी बातें बोलते थे जिससे सामने वाले का उत्साह और विश्वास बढ़े.
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Happy Ram Navami 2020 |
वाल्मीकि रामायण के अनुसार श्रीराम के बाल लंबे और चमकदार थे और चेहरा चंद्रमा के समान सौम्य, कांतिवाला कोमल और सुंदर था. उनकी आंखे बड़ी और कमल के समान थी. उन्नत नाक यानी चेहरे के अनुरुप सुडोल और बड़ी नाक थी. उनके होंठों का रंग उगते हुए सूर्य की तरह लाल था और दाेनों होंठ समान थे. उनके कान बड़े थे और जिनमें कुंडल शोभा बढ़ाते थे. श्रीराम के पैरों की लंबाई शरीर के उपरी हिस्से के समानुपात में थी.
भगवान के अंदर कोई दोष नहीं था, वे बहुत ही शआंत स्वभाव और मीठे वचन वोलने वाले जाने जाते थे. अपने मन को उन्होंने अपने वश में कर रखा था. उनके दिल में सभी के लिए समान भावना था, कभी किसी में फर्क नहीं किया था. प्रजा के प्रति उनका और उनके प्रति प्रजा का अनुराग था. श्रीराम दयालु, क्रोध को जीतने वाले और ब्राह्मणों की पूजा करते थे.
अगर बात की जाए उनके गुणों की तो वे बहुत ही विद्वान और बुद्धिमान थे. भूमंडल में उनके समान कोई नहीं था. वे वेदों के ज्ञाता और शस्त्र विद्या में अपने पिता से भी आगे थे. उनकी स्मरणशक्ति अद्भूत थी. समय-समय पर होने वाला उनका क्रोध या हर्ष कभी निष्फल नहीं होता, यानी उसका भी फल मिलता था. दूसरों से बात करते समय अच्छी बातें बोलते थे जिससे सामने वाले का उत्साह और विश्वास बढ़े.
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