प्रेरणादायक कहानी - कर्मों का लेखा जोखा!
नमस्कार दोस्तों आपने एक कहावत सुनी होगी कि जैसा आप कर्म करेंगे वैसा आपको फल मिलेगा इसे चाहे माने या ना माने पर यह बात सौ प्रतिशत सच है। एक कहानी के माध्यम से हम इसको समझेंगे।

एक बुजुर्ग था उसकी बहुत ज्यादा तबीयत खराब थी जैसा अक्सर बुढ़ापे में हो जाता है। उसके परिवार में उसके अलावा 3 लोग ओर थे। एक उसका बेटा, उसकी बहू और उसका एक पोता। उस बुजुर्ग व्यक्ति के जितने भी जरूरी काम थे सब बिस्तर पर होते थे क्योंकि उससे चला नहीं जाता था। उसके शरीर में बहुत कमजोरी हो गई थी और उसके सभी काम उसकी बहू को करने पड़ते थे और उन कामों से वह बहुत परेशान हो गई थी।
एक दिन परेशान होकर उसकी बहू ने अपने पति को बोला कि अब मुझसे आपके पिता के यह जरुरी काम मुझसे नहीं होते हैं। मैं इन कामों से परेशान हो चुकी हूं। इनका आपको कुछ इलाज करना पड़ेगा। बेटे ने बोला कि पिता बुजुर्ग है और बुढ़ापे में है ऐसा सब के साथ होता है। लेकिन पत्नी नहीं मानी वह अपनी बात पर अड़ी रही कि चाहे कुछ भी हो आज पिता का इलाज करना पड़ेगा।
पति ने पत्नी से पूछा तुम ही बताओ कि क्या इलाज करना चाहिए तो उसकी पत्नी ने सलाह दी कि हमारे गांव के बाहर एक नदी है पिताजी वैसे ही कुछ दिनों के मेहमान हैं कि क्यों ना इनको रात को इन के हाथ-पांव बांध कर नदी में डूबा दिया जाए। बेटा बोला दुनिया पूछेगी तो क्या बोलेंगे तो पत्नी ने सलाह दी कि दुनिया को यह बोल देंगे कि पिताजी हमारे दूर के रिश्तेदार के साथ तीर्थ यात्रा पर गए हैं। वहां उनके साथ कुछ हो गया और हम वहीं उनका अंतिम संस्कार करके आ गए।
बेटे को पत्नी की बात माननी पड़ी और रात को बड़े इंतजाम के साथ वह बहुत बड़ा एक टोकड़ा लेकर आया। उस टोकड़े में उसने अपने पिताजी को बिठाया और अपने पिताजी के हाथ पैर बांध दिए और उसमें बड़े बड़े पत्थर डाल दिए। जैसे ही वह नदी की गहराई में जाकर उनको डुबोने लगा तो उसने दर्द भरी आवाज में अपने बेटे को बोला की जहां मुझे बेटा तू डूब रहा है वहां मुझे मत डूबोना मुझे चार कदम आगे जाकर डुबो।
बेटा हैरान हो गया और बेटा परेशान हो गया। उसने अपने पिता से पूछा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं तब पिता ने बोला जो मैंने कर्म किए हैं आज मुझे उसका फल मिल रहा है। बेटे ने पूछा कैसे तो पिता ने बताया कि बेटा जब तू छोटा था जैसे आज मेरी तबीयत खराब है इसी तरह तेरे दादाजी की भी तबीयत खराब थी और तेरी माताजी ने मुझे यही सलाह दी थी जो आज तेरी पत्नी ने तुझे दी है। मैं भी एक टोकड़ा लेकर आया था और तेरे दादाजी को उसके टोकड़े में बिठाया था और इसी तरीके से इसी जगह पर मैंने उन को डुबोया था।तो बेटा आज मुझे तू ही यहां डूबो रहा है तू मुझे यहां मत डूबो बल्कि मुझे चार कदम आगे जा कर डुबो और जब तेरा बेटा बड़ा होगा वह तुझे आगे चार कदम जाकर डूबोएगा।
तो दोस्तों यह कहानी हमें यह संदेश देती है कि जैसा आप कर्म करोगे वैसा ही आपको फल मिलेगा। अगर आप चाहते हैं बेहतरीन जीवन जीना तो आज से और अभी से अच्छे कर्म करो। आपको अच्छे कर्मों का फल सौ प्रतिशत आज नहीं तो कल मिलेगा। लेकिन अगर आप कुछ जीवन में गलत कर रहे हैं तो उसका भी फल आपको आज नहीं तो कल सौ प्रतिशत मिलेगा। तुम अच्छे कर्म करो, अच्छी बातें करो और लोगों का भला करो इसी में जीवन की खुशी है।

एक बुजुर्ग था उसकी बहुत ज्यादा तबीयत खराब थी जैसा अक्सर बुढ़ापे में हो जाता है। उसके परिवार में उसके अलावा 3 लोग ओर थे। एक उसका बेटा, उसकी बहू और उसका एक पोता। उस बुजुर्ग व्यक्ति के जितने भी जरूरी काम थे सब बिस्तर पर होते थे क्योंकि उससे चला नहीं जाता था। उसके शरीर में बहुत कमजोरी हो गई थी और उसके सभी काम उसकी बहू को करने पड़ते थे और उन कामों से वह बहुत परेशान हो गई थी।
एक दिन परेशान होकर उसकी बहू ने अपने पति को बोला कि अब मुझसे आपके पिता के यह जरुरी काम मुझसे नहीं होते हैं। मैं इन कामों से परेशान हो चुकी हूं। इनका आपको कुछ इलाज करना पड़ेगा। बेटे ने बोला कि पिता बुजुर्ग है और बुढ़ापे में है ऐसा सब के साथ होता है। लेकिन पत्नी नहीं मानी वह अपनी बात पर अड़ी रही कि चाहे कुछ भी हो आज पिता का इलाज करना पड़ेगा।
पति ने पत्नी से पूछा तुम ही बताओ कि क्या इलाज करना चाहिए तो उसकी पत्नी ने सलाह दी कि हमारे गांव के बाहर एक नदी है पिताजी वैसे ही कुछ दिनों के मेहमान हैं कि क्यों ना इनको रात को इन के हाथ-पांव बांध कर नदी में डूबा दिया जाए। बेटा बोला दुनिया पूछेगी तो क्या बोलेंगे तो पत्नी ने सलाह दी कि दुनिया को यह बोल देंगे कि पिताजी हमारे दूर के रिश्तेदार के साथ तीर्थ यात्रा पर गए हैं। वहां उनके साथ कुछ हो गया और हम वहीं उनका अंतिम संस्कार करके आ गए।
बेटे को पत्नी की बात माननी पड़ी और रात को बड़े इंतजाम के साथ वह बहुत बड़ा एक टोकड़ा लेकर आया। उस टोकड़े में उसने अपने पिताजी को बिठाया और अपने पिताजी के हाथ पैर बांध दिए और उसमें बड़े बड़े पत्थर डाल दिए। जैसे ही वह नदी की गहराई में जाकर उनको डुबोने लगा तो उसने दर्द भरी आवाज में अपने बेटे को बोला की जहां मुझे बेटा तू डूब रहा है वहां मुझे मत डूबोना मुझे चार कदम आगे जाकर डुबो।
बेटा हैरान हो गया और बेटा परेशान हो गया। उसने अपने पिता से पूछा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं तब पिता ने बोला जो मैंने कर्म किए हैं आज मुझे उसका फल मिल रहा है। बेटे ने पूछा कैसे तो पिता ने बताया कि बेटा जब तू छोटा था जैसे आज मेरी तबीयत खराब है इसी तरह तेरे दादाजी की भी तबीयत खराब थी और तेरी माताजी ने मुझे यही सलाह दी थी जो आज तेरी पत्नी ने तुझे दी है। मैं भी एक टोकड़ा लेकर आया था और तेरे दादाजी को उसके टोकड़े में बिठाया था और इसी तरीके से इसी जगह पर मैंने उन को डुबोया था।तो बेटा आज मुझे तू ही यहां डूबो रहा है तू मुझे यहां मत डूबो बल्कि मुझे चार कदम आगे जा कर डुबो और जब तेरा बेटा बड़ा होगा वह तुझे आगे चार कदम जाकर डूबोएगा।
तो दोस्तों यह कहानी हमें यह संदेश देती है कि जैसा आप कर्म करोगे वैसा ही आपको फल मिलेगा। अगर आप चाहते हैं बेहतरीन जीवन जीना तो आज से और अभी से अच्छे कर्म करो। आपको अच्छे कर्मों का फल सौ प्रतिशत आज नहीं तो कल मिलेगा। लेकिन अगर आप कुछ जीवन में गलत कर रहे हैं तो उसका भी फल आपको आज नहीं तो कल सौ प्रतिशत मिलेगा। तुम अच्छे कर्म करो, अच्छी बातें करो और लोगों का भला करो इसी में जीवन की खुशी है।