
19 नवंबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाया गया। भारत में इसलिए भी इसकी खास तवज्जों इसलिए भी हैं क्योंकि भारत में 'स्वच्छ भारत अभियान' चल रहा है। जिसकी तरीफ पूरी दुनिया में भी की जा रही है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत भारत सरकार कई पिछड़े इलाकों में भी टॉयलेट्स बनवा रही है। सरकार का यह सारा प्रयास इसलिए है कि लोग खुले में शौच जाने से बचें। शहरी लोगों ने ऑफिसेज और मॉल में बने पब्लिक टॉयलेट्स कभी ना कभी इस्तेमाल किए होंगे। यह भी देखा होगा कि इन टॉयलेट्स के गेट नीचे से खुले होते हैं। कभी यह जानने की कोशिश की है कि ऐसा क्यों होता है... आइए आज आपको बताते हैं इसकी वजह।
जब भी हम पब्लिक प्लेसेस के टॉयलेट के दरवाजे को देखते हैं तो मन में आपके यह जरूर ख्याल आया होगा कि टॉयलेट्स का दरवाजा नीचे से खुला और इतना छोटा क्यों होता है? दरअसल इसके पीछे कई वजह हैं। सबसे पहली वजह यह है कि इससे साफ-सफाई में आसानी होती है। वह इसलिए क्योंकि पब्लिक टॉयलेट्स का इस्तेमाल कई लोग करते हैं, इसलिए यह जल्दी गंदे हो जाते हैं। ऐसे में नीचे से खुले दरवाजों की वजह से फ्लोर को पोंछने में आसानी होती है। लेकिन यही सिर्फ एक कारण नहीं है। और भी कई वजहों से टॉयलेट्स के दरवाजे छोटे रखे जाते हैं। कई बार कुछ लोग पब्लिक टॉयलेट्स में सेक्युअल एक्टिविटी करने लगते हैं। ऐसे लोगों पर रोक लगाने के लिए ये दरवाजे छोटे रखे जाते हैं ताकि लोगों को इतनी भी प्राइवेसी ना मिले कि वो इस तरह के कामों में इन्वॉल्व हो जाएं।
इसके अलावा टॉयलेट के दरवाजे छोटे होने की वजह से अगर कभी कोई बच्चा खुद को अंदर लॉक कर लेता है, तो उसे निकालने में सुविधा होती है। इसके अलावा अगर कोई बाथरूम के अंदर बेहोश हो जाए, तो इन छोटे दरवाजों की वजह से बाहर निकाला जा सकता है।
ये भी पढ़ें
'हिंदी' के वो शब्द जिन्हें सारी दुनिया ने मान्यता दी
अगर जेब से अचानक गिरे सिक्के तो समझिए आपके साथ होने वाला है ये
ताले के नीचे एक छोटा छेद क्यों होता है? 90% लोग इसके महत्व से अनजान
भारत ने दुनिया को दी ये हैरान कर देने वाली चीजे