आपको खुशी कब होती है, जब आप खुश होते हैं। आप खुश कब होते हैं, जब आपका मन प्रफुल्लित होता है। आपका मन तभी प्रफुल्लित होता है जब आप हर चीज में खुशी देखते हैं। खुशी भी आपको तभी दिखाई देगी जब आप प्रत्येक चीज को सकारात्मक रूप से लेते हैं।
रचनात्मकता को बढ़ाती है खुशी
खुशी आपको उत्साहित रखती है और आपको उर्जावान बनाती है। खुश रहने से आपको नए आइडिया आते हैं। नए आइडिया से प्रगति की राह खुलती है। आपका मन कई तरह के दूसरे कार्य करने का इच्छुक रहता है। खुशी रचनात्मकता को बढ़ाती है। यही रचनात्मकता आपको सफलता के शिखर तक लेकर जाती है।
अपने स्वभाव को बदलें
खुश रहने के लिए कोई अलग से प्रयास नहीं करने पड़ते हैं, बल्कि इसके लिए आपको अपनी कुछ आदतें बदलनी होती है। आदतों में भी कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं करना होता है। हां, यह जरूर है कि सबसे पहले अपने स्वभाव को बदलना जरूरी होता है। हमने अपने स्वभाव को बदल लिया तो आदतें भी खुद ब खुद बदलती जाएगी।
ये आदतें डालें
दुखी होना छोड़ें, खुश रहना सीखें। गुस्सा करना छोड़ें, शांत रहना सीखें। नकारात्मकता छोड़ें, सकारात्मकता अपनाएं। नुक्ताचीनी छोड़ें, सराहना करना सीखें। अपना काम दूसरों पर ढालना छोड़कर खुद करने की आदत डालें। सम्मान देना सीखें, सम्मान पाएं। सभी से एक जैसा व्यवहार करने की बजाय सामने वाली की उम्र के अनुसार यथोचित व्यवहार करने की आदत डालें।
नए रास्ते जरूर ही मिलेंगे
ऊपर दिए 3 आदतों से आप अपने आप में जो सबसे बड़ा परिवर्तन पाएंगे वह संतुष्टि का भाव आना। आप में अगर संतुष्टि का भाव आएगा तो आपका मन उद्वेलित नहीं रहकर शांत होगा। मन शांत होगा तो आप आगे बढ़ने के लिए नए रास्ते खोजेंगे। लिहाजा आप जहां हैं वहां खुश रहें। क्योंकि असंतुष्टि प्रगति के रास्ते बंद करती है।