पुराने समय की बात है एक राजा जिसकी वजह से पूरी प्रजा हमेशा खुश रहती थी। राजा की लाडली गुड़िया जो अभी बहुत छोटी थी चांद की तरफ देख कर चांद को पाने की जिद कर बैठी राजा ने यह सब सुना लेकिन पहले तो राजा ने सोचा कि उसकी लाडली गुड़िया मजाक कर रही है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं था गुड़िया को तो चाँद चाहिए था लेकिन राजा चाँद तोड़कर लाता भी कैसे। चाँद ना मिलने की वजह से राजा की गुड़िया खूब रोई जिसकी वजह से बीमार भी पड़ गई। लेकिन कोई भी राजा की गुड़िया को ठीक नहीं कर पाया जिसकी वजह से राजा परेशान रहने लगा। करे भी तो क्या उसकी बेटी ने मांग ही तो कुछ ऐसा लिया था जो राजा होने के बाद भी पूरा नहीं कर सकता था।
राजा ने अपने दरबार में घोषणा करवा दी कि जो कोई भी मेरी बेटी के लिए चाँद तोड़कर लाएगा। उसको मुंह मांगा इनाम दिया जाएगा यह सब सुनकर प्रजा मन ही मन मुस्कुराने लगी कि राजा पागल हो गया है। करता भी क्या बेचारा राजा अपनी बेटी से प्यार जो करता था इतना। दूर दूर तक ये बातें फैल गई कि राजा ने ऐसा कुछ करने की घोषणा कर दी है और जो कोई भी यह काम अंजाम दे पाएगा राजा उसके मन की मुराद पूरी कर देंगे। दूर-दूर से लोग आए लेकिन राजा की गुड़िया को ठीक नहीं कर सके तब राजा और भी ज्यादा परेशान रहने लगा कि करें तो क्या करें। लेकिन पास के एक गांव में एक बुद्धिमान व्यापारी रहता था जिसे राजा का दुःख देखा नहीं गया उसने बिना सोचे समझे राजा से मिलने की इच्छा जाहिर की और राजा को कहा कि मैं आपकी बेटी को ठीक कर सकता हूं।
उनके लिए चांद तोड़कर ला सकता हूं। राजा बहुत खुश हुआ राजा ने कहा अगर तुमने ऐसा कर दिया तो मैं तुम्हारे मन की मुराद पूरी कर दूंगा। व्यापारी राजा की गुड़िया के पास गया और बोला गुड़िया बताओ चांद कितना बड़ा है उस ने जवाब दिया मेरी उंगली जितना अगर मैं चांद के ऊपर उंगली रख दू तो चाँद दिखाई नहीं देगा। अच्छा ठीक है तो ये बताओ कि चांद कितना ऊंचा है। गुड़िया ने जवाब दिया कि पेड़ के ऊपर इतना ही है बस। अच्छा ठीक है तो फिर यह बताओ चांद कैसा दिखता है गुड़िया ने जवाब दिया बिल्कुल सफेद मोती की तरह चमकता है। व्यापारी हंसने लगा अच्छा अच्छा चलो ठीक है मैं तुम्हारे लिए चाँद तोड़ कर ले आऊंगा और ऐसा कहते ही वहां से चला गया।
व्यापारी के इतना कहने से ही राजा की गुड़िया की तबीयत में फर्क पड़ा और अगले दिन राजा से आकर मिला औऱ सारी युक्ति बता दी फिर क्या था व्यापारी एक छोटा सा चाँद का टुकड़ा लिया और राजा की गुड़िया को दे दिया उसे देखते ही राजा की गुड़िया खुशी से उछलने लगी फिर क्या था कुछ ही दिनों में राजा की गुड़िया पूरी तरह से ठीक हो गई। लेकिन राजा को अभी भी चिंता सता रही थी की बेटी ने अगर बाहर जाकर चाँद को देख लिया तो फिर क्या होगा। लेकिन व्यापारी के पास इसका भी एक हल था। उसने फिर गुड़िया के पास जाकर पूछा कि गुड़िया बताओ अगर किसी का दांत टूट जाए तो क्या होगा।
वह हंसते हुए बोली क्या आपको इतना भी नहीं पता, दूसरा दांत उग आएगा। अच्छा चलो ठीक है तो यह बताओ अगर कोई चांद को तोड़ ले फिर क्या होगा राजकुमारी ने फिर कहा वहां पर कोई दूसरा चांद उग आएगा। अरे वाह तुम्हे तो सब कुछ पता है तुम्हें तो कुछ भी बताने की जरूरत नहीं। गुड़िया यह सब सुनकर और भी ज्यादा खुश हो गई और अपने चाँद के साथ खेलने में फिर से बिजी हो गई। लेकिन फिर व्यापारी ने कहा गुड़िया चलो चाँद देखते हैं शायद वहां एक और उग आया होगा। गुड़िया ने कहा चलो ठीक है देखते हैं।
व्यापारी उसे बाहर ले गया और नया चाँद दिखाया फिर गुड़िया ने जवाब दिया यह चाँद तो देखने में गन्दा है। मेरे वाला चाँद ज्यादा चमकता है। फिर क्या था गुड़िया ठीक हो चुकी थी। राजा की चिंता खत्म हो चुकी थी। अब बारी थी व्यापारी की, कि क्या मांग करता है। लेकिन व्यापारी ने कुछ नहीं मांगा उसने कहा अगर किसी को आपकी जरूरत हो तो उसकी मदद कर देना किसी भी गरीब को दुख मत देना जितना हो सके दूसरे गरीब लोगों की सेवा करना क्योंकि ऐसा करने से आपको पुण्य मिलेगा। यही रीत है और हां एक बात और बता गया जाते-जाते मुसीबत चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो उसका हल बहुत छोटा सा होता है।