पति चिप्स खाते हुए (बच्चों से) - बेटा कभी ऐसा प्राणी देखा है
जो होता तो इंसान है पर जिसके माँ-बाप उसे
गाय कहतें हैं लेकिन वो होती शेरनी है।
पत्नी सबकुछ समझते हुए - बच्चों कभी तुमने
ऐसा जानवर देखा है जो गाय के पीछे शेर की तरह जाता है
और जब पता चलता है कि वो शेरनी है तो कुत्ते की तरह
दुम दबा कर भाग जाता है फिर जिंदगी भर
चुहे की तरह चिप्स कुतरता रहता है।
पत्नी - हम कहा जा रहें हैं?
पति - भगवान के दर्शन करने।
पत्नी - लेकिन आपने पहले नहीं बताया?
आप की हमेशा की सरप्राइज देने की आदत गई नहीं अभी।
पति - अरे पगली! सरप्राइज तो मुझे भी मिला है।
गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया है और स्टेयरिंग भी काम नहीं कर रही।
रास्ते में पुरानी गर्लफ्रेंड से मुलाकात हो गई।
उसके साथ उसके बच्चे भी थे।
उसके कुछ बोलने से पहले मैंने ही बोल दिया -
कुछ भी बोल पर बच्चों से ये मत बोलना की
ये तुम्हारे मामा या तुम्हारे मम्मी के भाई हैं।
पुरानी गर्लफ्रेंड - बच्चों ये तुम्हारे पापा के साले हैं।
बच्चे - अच्छा.... तो ये भी हमारे मामा हैं?
बच्चों के मुंह से मामा सुन कर उतना दुख नहीं हुआ
जितना 'ये भी' सुन कर हुआ।
गर्मी में एग्जाम खत्म होते ही हम गांव में नानी के यहाँ घूमने गये।
मनोरंजन का कोई साधन न होने की वजह से
कभी हम किसी बाबा जी की धोती खींच के
भाग जाते तो कभी किसी की भैंस को खोल देते।
एक दिन तो हमने गजब ही कर दिया....
गोबर के कंडे को बर्गर समझ के उसे टमाटर और
प्याज से सजा के दादाजी को खाने के लिए दे दिया।
और बेचारे दादाजी भी बिना ऐनक के उस देशी बर्गर को
बच्चों का प्यार समझकर थोड़ा सा खा गये।
पति - सुनो... मैं बाहर जा रहा हूँ वो रमेश आये
तो कह देना मैं दुकान पर मिलूंगा।
पत्नी - आप चिंता न करिए मैंने उन्हें पहले ही
बता दिया है कि आप दुकान पर जा रहे हैं।
टीचर - बच्चों कभी ये मत समझो की मैं तुम्हारा टीचर हूँ।
आज से मुझे अपना दोस्त ही समझो।
चिंटू - ठीक है मान लिया पर तू भी हमें क्लास में
पकाया मत कर और हाँ, आज से मेरा होमवर्क भी तू ही करेगा।
दुनिया भर के सारे मर्दों को ये भ्रम होता है कि लड़की हंसी तो फंसी।
जबकि असल में वो ये भी नहीं जानते कि लड़की उन पर हंस रही होती है।
जी हाँ, मैं तो कहता हूँ कि बकरे वाली कहावत बदल डालो।
क्योंकि बकरा फंसा तो कटा पर जो मछली की तरह
फंसा वो तो बिन पानी के तड़प-तड़प कर मरा।
जानकारी के लिए बता दूँ कि ये लड़कियां एक शातिर
मछुआरे की तरह होती हैं जो चारा डालकर इंसानी मछली फंसातीं हैं।
और फिर हड्डी बचने तक चबा-चबा कर खाती हैं,
फिर एक सदियों से चला आ रहा डायलॉग मारती हैं।
"तुम में अब वो पुरानी बात नहीं रही तुम बदल गये हो"
फिर अगला दिन और नया विचार - आज तो ये झींगा मछली है मेरा शिकार।