ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हे तुम्हारी शख्सियत की खबर,
कभी हमारी आँखो से आकर पूछो, कितने लाजवाब हो तुम!
न किस्सों में, और न किस्तों में,
जिंदगी की खूबसूरती है चंद सच्चे रिश्तों में!
जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता,
मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता!
जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना,
कम्बख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है!
महफ़िल में हँसना तो हमारा मिज़ाज़ बन गया,
तन्हाई में रोना एक राज़ बन गया,
दिल के दर्द को चेहरे से ज़ाहिर ना होने दिया,
यही ज़िन्दगी जीने का अंदाज़ बन गया!
गर मर जाए एहसास किसी की रूह से बेवक्त,
ज़िंदगी की तल्ख़ हक़ीक़त से आदमी रू-ब-रू होता है!
ज़िन्दगी तो अपने क़दमों पे चलती है 'फ़राज़',
औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं!
इतना क्यों सिखाए जा रही हो ज़िन्दगी,
हमें कौन सी यहाँ सदियाँ गुज़ारनी हैं!
झट से बदल दूं, इतनी न हैसियत न आदत है मेरी,
रिश्ते हों या लिबास, मैं बरसों चलाता हूँ!