Bewafa |
दिन घुटे घुटे, शामें धुंआ धुंआ हो गया, और रातें, इंतज़ार की तेरे दास्ताँ हो गया, कहाँ से ढूंढ़कर लाउ सकुन दिल का अपने, ज़िन्दगी जब दर्द की एक दास्ताँ हो गया.
बेवफा बनकर कैसे जी लेते हैं लोग, हंस कर इस राज को जानने में ही हस्ती फन्ना हो गया, मैं कब तक भरम में रखूं खुद को, दुनिया कहने लगी की तू तो बेवफा हो गया.
गम की परछाईयाँ यार की रुसवाईयाँ, वाह रे मुहोब्बत ! तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईयां.
जलते हुए दिल को और मत जलाना, रोती हुई आँखों को और मत रुलाना, आपकी जुदाई में हम पहले से मर चुके है, मरे हुए इंसान को और मत मारना.
लम्हे जुदाई को बेकरार करते हैं, हालत मेरे मुझे लाचार करते हैं, आँखे मेरी पढ़ लो कभी, हम खुद कैसे कहे की आपसे प्यार करते हैं.
बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता, तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता, जब बी देखता वो अपने हाथों को, उसे हमारा ख़याल तो आया होता.
मैंने भी किसी से प्यार किया था, उनकी रहो में इंतजार किया था, हमें क्या पता वो भूल ज्यांगे हमें, कसूर उनका नहीं मेरा ही था, जो एक बेवफा से प्यार किया था.
यादो में तेरी तन्हा बैठे हैं, तेरे बिना लबों की हसी गावा बैठे हैं तेरी दुनिया में अंधेरा ना हो, इसलिए खुद का दिल जला बैठे है.
हमसे पूछो क्या होता है पल पल बिताना, बहुत मुश्किल होता है दिल को समजाना, यार ज़िंदगी तो बीत जाएगी, बस मुश्किल होता है कुछ लोगो को भूल पाना.
जिसने हमको चाहा, उसे हम चाह न सके, जिसको चाहा उसे हम पा न सके, यह समजलो दिल टूटने का खेल है, किसी का तोडा और अपना बचा न सके.
वो रोए तो बहुत, पर मुझसे मूह मोड़ कर रोए, कोई मजबूरी होगी तो दिल तोड़ कर रोए, मेरे सामने कर दिए मेरे तस्वीर के टुकड़े, पता चला मेरे पीछे वो उन्हे जोड़ कर रोए.
हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर, वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर, कल वो कह गये भुला दो हुमको, हमने पुछा कैसे! वो चले गये हाथो मे जाम देकर.
काश वो समझते इस दिल की तड़प को, तो यूँ हमें रुसवा ना किया होता, उनकी ये बेरुखी भी मंज़ूर थी हमें, बस एक बार हमें समझ लिया होता.
बेदर्द दुनिया में अभी जीना सीख रहा हूँ, अभी तो मैं दुखों के जाम पीना सीख रहा हूँ, कोशिश करूंगा तुम्हे मैं भी भुलाने की, अभी तो मैं तेरे झूठे वादों को भुलाना सीख रहा हूँ.
हर रोज़ पीता हूँ तेरे छोड़ जाने के ग़म में, वर्ना पीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं, बहुत याद आते है तेरे साथ बीताये हुये लम्हें, वर्ना मर मर के जीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं.
ना मुस्कुराने को जी चाहता है, ना आंसू बहाने को जी चाहता है, लिखूं तो क्या लिखूं तेरी याद में, बस तेरे पास लौट आने को जी चाहता है.
चाँद का क्या कसूर अगर रात बेवफा निकली, कुछ पल ठहरी और फिर चल निकली, उन से क्या कहे वो तो सच्चे थे, शायद हमारी तकदीर ही हमसे खफा निकली.
आँखों से आंसू न निकले तो दर्द बढ़ जाता है, उसके साथ बिताया हुआ हर पल याद आता है, शायद वो हमें अभी तक भूल गए होंगे, मगर अभी भी उसका चेहरा सपनो में नज़र आता है.
अगर वो मांगते हम जान भी दे देते, मगर उनके इरादे तो कुछ और ही थे, मांगी तो प्यार की हर निशानी वापिस मांगी, मगर देते वक़्त तो उनके वादे कुछ और ही थे.
सोचता हूँ सागर की लहरों को देख कर, क्यूँ ये किनारे से टकरा कर पलट जातें हैं, करते हैं ये सागर से बेवफाई, या फिर सागर से वफ़ा निभातें हैं.
जिनकी याद में हम दीवाने हो गए, वो हम ही से बेगाने हो गए, शायद उन्हें तालाश है अब नये प्यार की, क्यूंकि उनकी नज़र में हम पुराने हो गए.
लोग अपना बना के छोड़ देते हैं, अपनों से रिशता तोड़ कर गैरों से जोड़ लेते हैं, हम तो एक फूल ना तोड़ सके, ना जाने लोग दिल कैसे तोड़ देते हैं.
वक़्त नूर को बेनूर बना देता है, छोटे से जख्म को नासूर बना देता है, कौन चाहता है अपनों से दूर रहना, पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है.
भरी महफिल में तन्हा मुझे रहना सिखा दिया, तेरे प्यार ने दुनिया को झूठा कहना सिखा दिया, किसी दर्द या ख़ुशी का एहसास नहीं है अब तो, सब कुछ ज़िन्दगी ने चुपचाप सहना सिखा दिया.
हर रिश्ते को अजमाया है हमने, कुछ पाया पर बहुत गवाया है हमने, हर उस शख्स ने रुलाया है, जिसे भी हमने इस दिल में बसाया है.
आज किसी की दुआ की कमी है, तभी तो हमारी आँखों में नमी है, कोई तो है जो भूल गया हमें, पर हमारे दिल में उसकी जगह वही है.
उस अजनबी का यूँ न इंतज़ार करो, इस आशिक दिल का न ऐतबार करो, रोज़ निकला करें किसी के याद में आंसू, इतना न कभी किसी से प्यार करो.
बड़ी आसानी से दिल लगाये जाते हैं, पर बड़ी मुश्किल से वादे निभाए जाते हैं, ले जाती है मोहब्बत उन राहो पर, जहा दिए नही दिल जलाए जाते हैं.
क्या करूँगा उसका इंतज़ार करके, जब चली गई वो मुझे बर्बाद करके, सोचा था अपना भी एक जहाँ होगा, मगर मिली सिर्फ तन्हाई उसे प्यार करके.
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यूं कोई बेवफा नही होता, टटोल कर देखो अपने दिल को, हर फासला बेवजह नहीं होता.
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