राम नाम का एक नवयुवक बहुत मेहनती थे, पर हमेशा अपने मन में एक शंका लिए रहता कि वो अपने कार्यक्षेत्र में सफल होगा या नहीं। एक दिन उसके गांव में एक प्रसिद्ध महात्मा जी का आगमन हुआ।
महात्मा जी से मिलने पहुंचा और बोला, "सफलता पाने के लिए हर-एक प्रयत्न करता हूँ, पर फिर भी मुझे सफलता नहीं मिलती।"
महात्मा जी - बेटा, तुम्हारी समस्या का समाधान इस चमत्कारी ताबीज में है, लेकिन इसे सिद्ध करने के लिए तुम्हे एक रात शमशान में अकेले गुजारनी होगी।"
"लेकिन मैं रात भर अकेले कैसे रहूँगा… राम कांपते हुए बोला।" घबराओ मत यह कोई मामूली ताबीज नहीं है, यह हर संकट से तुम्हे बचाएगा।" महात्मा जी ने समझाया।
राम ने पूरी रात शमशान में बिताई और सुबह होती ही महात्मा जी के पास जा पहुंचा, "हे महात्मन! आप महान हैं, सचमुच ये ताबीज दिव्य है, निश्चय ही अब मैं सफलता प्राप्त कर सकता हूँ।"
अब वह जो भी करता उसे विश्वास होता कि ताबीज की शक्ति के कारण वह उसमें सफल होगा। करीब 1 साल बाद फिर वही महात्मा गाँव में पधारे।
राम चमत्कारी ताबीज का गुणगान करने लगा। तब महात्मा जी बोले- बेटे... जरा अपनी ताबीज निकालकर देना। उन्होंने ताबीज हाथ में लिया, और उसे खोला।
उसे खोलते ही राम के होश उड़ गए जब उसने देखा कि ताबीज के अंदर कोई मन्त्र-वंत्र नहीं लिखा हुआ था। राम बोला, "ये क्या महात्मा जी, ये तो एक मामूली ताबीज है, फिर इसने मुझे सफलता कैसे दिलाई?"
महात्मा जी ने समझाते हुए कहा- "तुम अपने कार्यक्षेत्र में इसलिए सफल नहीं हो पा रहे थे क्योंकि तुम्हें खुद पर यकीन नहीं था… खुद पर विश्वास नहीं था। लेकिन जब इस ताबीज की वजह से तुम्हारे अन्दर वो विश्वास पैदा हो गया तो तुम सफल होते चले गए।"
दोस्तों, यदि आप खुद पर यकीन रखते हैं तो आपको हाथों में अलग-अलग पत्थरों के अंगूठियां पहनने की जरूरत नहीं, माला या ताबीज के साथ की जरूरत नहीं है।
** विश्वास रखिये, आगे बढ़िए और सफलता पाइए **