अच्छे लोग ही ज्यादा दुख क्यों पाते हैं! क्या ईश्वर परीक्षा लेते हैं?

अच्छे लोग बहुत ज्यादा मेहनत करते हैं सारे काम अच्छा करते हैं लेकिन फिर भी वे दुख क्यों पाते हैं। बहुत बार अच्छे लोग किस्मत के आगे हार जाते हैं वे जो चाहते हैं ऐसा कुछ भी नहीं होता। हालांकि वे परेशानियों से लड़ना जानते हैं। सफलता कैसे मिलती है उन्हें पता है और इस
तरह से वे परेशानियों से लड़ते रहते हैं। लेकिन उनकी भावनाओं को कोई भी समझ नहीं पाते हैं। वे अच्छे रास्ते पर चलना चाहते हैं ऐसे लोग अपना रास्ता खुद तय करते हैं। उन्हें ना बोलना नहीं आता एक अच्छे इंसान कभी भी किसी चीज के लिए ना कभी नहीं बोलता।


यदि किसी ने उन्हें कुछ करने को कहा है वे तुरंत हां कर देते हैं, चाहे उन्हें कितनी भी परेशानियों को झेलना क्यों न पड़े। वे हर हालत में मदद करने के लिए तैयार रहते हैं इसी कारण लोग ऐसे लोगों का फायदा उठाते हैं। ऐसे लोग स्वयं मुसीबत में पड़ जाए लेकिन दूसरों को मुसीबत में पड़ते देख नहीं सकते। क्योंकि किसी बात पर जल्दी भरोसा कर लेना उनकी आदत होती है इसलिए उनको जीवन में हमेशा धोखा मिलता है। मगर फिर भी वे अच्छे इंसान कभी भी किसी को धोखा नहीं दे सकते। खूद धोखे मिलने के बावजूद हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते हैं। वैसे आज के जमाने में इंसान को कभी भी आंख बंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए वरना उन्हें दुख के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा। अच्छे लोग साफ दिल और मन के होते हैं, वे सोचते हैं कि हमारी बात पर किसी को बुरा नहीं लग जाए। वे अपने खुशी के पहले दूसरों की खुशी के बारे में सोचते हैं। अपने जरूरतों को पूरा करने से पहले दूसरों की जरूरतों को पूरा करते हैं अच्छे इंसान हमेशा आपको आगे बढ़ने की हिम्मत देते हैं। अपनी भावनाओं को कभी भी अच्छे इंसान व्यक्त नहीं कर पाते हैं। उनको लगता है शायद उनकी बातों से दूसरा परेशानी ना हो जाए। लेकिन दूसरों को कभी भी परेशान देखना नहीं चाहते हैं इसलिए अपनी भावनाओं को अपने अंदर ही छुपा कर रखते हैं।
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स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का अद्भुत संवाद हुआ था इसी विषय को लेकर के। स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से पूछे की मैं समय नहीं निकाल पाता हूं जीवन तो आपाधापी से भर गया है। श्री रामकृष्ण परमहंस ने कहे की गतिविधियां तो हमेशा घेरे रहती है लेकिन उत्पादकता आजाद करती है।
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स्वामी विवेकानंद- आज इतना जीवन गति क्यों हो गया है? परमहंस ने जवाब दिए - जीवन का विश्लेषण करना बंद करो यह उसे जटिल बना देता है। जीवन को जियो पर आप उसके बारे में कुछ भी विश्लेषण मत करो।
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स्वामी विवेकानंद - आप ही बताइए जीवन में हमेशा अच्छे लोग ही दुखी क्यों होते हैं? रामकृष्ण परमहंस ने इसका जवाब दिए - परेशान होना तुम्हारी आदत बन गई है इसी वजह से तुम दुख पाते हो। परेशानी को तुम अपने से दूर रखो तो दुख तुम्हें कभी छू नहीं पाएगा।
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स्वामी विवेकानंद ने फिर कहा - अच्छे लोगों को ही दुख क्यों मिलता है? रामकृष्ण परमहंस बोलें कि हीरा रगड़े जाने पर ही चमक देता है और सोने को शुद्ध होने के लिए आग में तपना पड़ता है। अच्छे लोग दुख नहीं पाते बल्कि परीक्षाओं से गुजरते हैं इस अनुभव से उनका जीवन और भी बेहतर होता है निखार आता है। उनका जीवन में एक नया अध्याय का उदय होता है एक नई सूर्योदय होता है। इतना सुनने के बाद स्वामी विवेकानंद बोलें - आपका मतलब है ऐसा अनुभव उपयोगी होता है? रामकृष्ण परमहंस जी ने सिर हिलाते हुए - हां हर एक लिहाज से एक कठोर परीक्षा लेता है फिर उस परीक्षा में उसे जो सीख मिलती है वो सिख उसके जीवन में आगे बढ़ाता है और वह सफलताओं को प्राप्त करता है। उसके मार्ग में जो कठिनाई आती है उसको वह अलग करता हुआ अपना रास्ता खुद बना लेता है और वह व्यक्ति एक न एक दिन सफलता अवश्य ही प्राप्त करता है।
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स्वामी विवेकानंद - समस्याओं से घिरे रहने के कारण हम जान ही नहीं पाते कि हम किधर जा रहे हैं। रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि आप अपने अंदर झांको बाहर मत झांको तब तुम्हें पता चलेगा कि तुम किधर जा रहे हो आंखें दृष्टि दिखाती है अंतर्मन राह दिखाती है।
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स्वामी विवेकानंद - क्या असफलता सही राह पर चलने पर ज्यादा कष्टकारी है? तो गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस कहे कि सफलता का पैमाना है जो दूसरे लोग तय करते हैं संतुष्टि का पैमाना तो तुम खुद तय करते हो इसलिए सफलता के बारे में तुम कभी न सोचो। सफलता आपके हाथ में नहीं है वह दूसरे लोग तय करेंगे।
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स्वामी विवेकानंद - कठिन समय में अपना उत्साह कैसे बनाए रखेंगे? जब व्यक्ति का बुरा समय चल रहा है तो अपना उत्साह को बरकरार कैसे रखेगा? तो रामकृष्ण परमहंस ने एक बहुत अच्छी बात कही कि तुम हमेशा इस बात पर ध्यान दो कि अब तक तुम कितना चल पाए और कितना चल पाना बाकी है जो कुछ पाया है उसको गिनो, जो हासिल ना हो सका उसके बारे में कभी न सोचो। जो हासिल ना हो सका उसके बारे में तुम पूछने लगोगे तो तुम्हें दुख मिलेगा और जो पाया है उसके बारे में सोचोगे तो तुम्हें सुख का अनुभव होगा।
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स्वामी विवेकानंद - लोगों की कौन सी बात आपको हैरान करती है? तो परमहंस ने कहा की जब लोग दुख में होते हैं कष्ट में होते हैं तो कहते हैं कि मुझे ही क्यों कष्ट मिल रहा है भगवान मुझे ही क्यों दुख दे रहे हैं लेकिन जब आनंद में रहते हैं, आनंद के सागर में डूबे रहते हैं, सुखी रहते हैं तब वह क्यों नहीं कहते कि भगवान मुझे ही इतना सुख क्यों दिया है दूसरों को भी देखें।
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स्वामी विवेकानंद - अपने जीवन में हम सर्वोत्तम कैसे हासिल कर सकते हैं? रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि बिना किसी अफसोस के अपने अतीत का सामना करो पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने वर्तमान को संभालो निडर होकर तुम भविष्य की तैयारी कर लो सफलता को अवश्य ही प्राप्त करोगे।
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स्वामी विवेकानंद - गुरुदेव मेरा यह आखरी सवाल है की जो मैं प्रार्थना करता हूं आराधना करता हूं जो पूजा पाठ करता हूं वह बेकार क्यों चली जाती है? उसका फल मुझे क्यों नहीं मिलता है? गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस ने बड़ा सुंदर जवाब दिया कि विवेकानंद कोई भी प्रार्थना बेकार हो जाती है अपनी आस्था को बनाए रखो डर को परे रखो। जीवन एक रहस्य है जिसे तुम्हें खोजना है। यह कोई समस्या नहीं जिसे तुम्हें सुलझाना है। तुम कभी भी पूजा पाठ करते हो वह निष्फल नहीं जाएगा किसी न किसी दिन उसका फल अवश्य मिलेगा। भगवान का घर देर है अंधेर नहीं।